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Showing posts from August, 2020

निरंतरता Continuation

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प्रत्येक स्थान पर निरंतरता अवश्य होनी चाहिए ।क्योंकि निरंतर अभ्यास से हम उसे प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी हम कल्पना करते है।कल्पना करना या सपने देखना बुरी बात नही है ,किंतु सिर्फ कल्पनाओ में रहना ठीक नही। क्योकि यदि अपने सपनो को पूरा करने के लिए आप निरंतर प्रयास नही करते हो ,तो वह सिर्फ कल्पना मात्र ही रह जाता है।उदाहरण स्वरूप नदी जो कि निरंतर प्रयास करके बड़ी से बड़ी चट्टानों को भेद कर अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेती है।यह सिर्फ तभी संभव हो पाता हैं ,क्योंकि वह निरंतर प्रयास करती रहती है।उसी प्रकार जो व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में निरंतर प्रयास करता रहता है, वह भी अपना लक्ष्य कभी न कभी प्राप्त कर ही लेता है।निरतंर प्रयास करते रहने से हमारी कमिया धीरे धीरे संतुलित होने लगती है ,तथा एक दिन हमारे कार्यो में संतुलन आ जाता है ।और यही संतुलन हमे प्राँगड़ता की ओर ले जाता है।जिससे दूसरे भी प्रभावित होते है ,तथा निरंतर कार्य करते हुए अपने अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। There must be continuity in every place. Because by continuous practice we can achieve what we imagine. It is not a bad thing to imag...

कुरूपता Ugliness

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 कुरूप वह व्यक्ति नही होता हैं ,जिसका तन कुरूप होता हैं। बल्कि वह होता हैं जिसका मन, हृदय कुरूप होता हैं ।अक्सर लोगो का विशेष आकर्षण सुंदर काया की तरफ ज्यादा होता हैं ।वे सुंदरता की तरफ इतने आकर्षित रहते है ,कि जल्दबाज़ी में उसे प्राप्त करना चाहते है ।यह देखे या जाने बिना की वह असल मे आंतरिक रूप से खुबसूरत है भी की नही।उदाहरण स्वरूप शादी, व्याह में अक्सर ऐसा होता है। यदि स्त्री बाह्य रूप से सुन्दर है ,तो उसे वरीयता दी जाती है ।बल्कि यह देखे बिना की वह कितनी पारिवारिक है ,सामाजिक है ,बुद्धिमान तथा जिम्मेदार है।यदि व्यक्ति बाह्य आकर्षण को त्याग कर उत्कृष्ट गुणों को वरीयता दे ,तो उसका रिश्ता जीवन के अंतिम पड़ाव तक चलता है । किंतु इसके कुछ अपवाद भी है ।कुछ स्त्रियां तन और मन दोनों से सुंदर होती है ।जिस व्यक्ति को यह मिश्रण मिल जाता है ,तो वह संसार का सबसे सुखी व्यक्ति होता है। किंतु ऐसा नही है ,कि फिर बाह्य रूप से कुरूप स्त्रियों का कोई अस्तित्व ही नही है ।यदि वह स्त्री उच्च गुणों को धारण करती है ,तो वह सबसे ज्यादा समर्पित, जिम्मेदार तथा सहनसील होती है ।और वैसे भी शारीरिक सुंदरता तो कुछ ...

शून्यता Void

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प्रत्येक चीज का आरंभ शून्य से ही होता है और अंत भी शून्य पर ।अतः पूरा जीवन हम सिर्फ शून्यता की खोज में निकाल देते हैं ।और अंत में जब उसे प्राप्त करते हैं तब बोध होता है। असली सत्यता क्या है जीवन की। जो व्यक्ति शून्यता का महत्व समझता है, वह बाहरी आडम्बरो से रहित परिपक्व होता है ।तथा वह दिखावे की दुनिया से अनाकर्षित होता है। तथा वही जीवन के असली मूल्यों को समझता है। हमारा जीवन बहुत ही मूल्यवान है ,किंतु यदि हम शून्यता का दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो इसकी महत्वता और बढ़ जाती है ।हमारी नज़र में भी तथा सभी की नज़र में भी ।यदि असल मे देखा जाए तो जीवन मे अपार संभवनाएं तथा अवसर है किंतु उन्हें भुनाने तथा प्राप्त करने के लिए पहले शून्यता प्राप्त करनी पड़ेगी ।क्योकि कुछ भी धारण करने के लिए पात्र का खाली होना बहुत आवश्यक है। शून्यता हमे तभी प्राप्त होगी जब हम खालीं होंगे, हल्के होंगे ।हमारे जीवन का अर्थ तभी है ,जब हम इस प्रकृति में कुछ योगदान दे। क्योकिं प्रकृति शून्यता का सर्वोत्तम उदाहरण है। यह पूर्ण रूप से शून्यता को धारण किये हुए हैं ।तथा नित नई नई संभावनाएं तलाशने का मनुष्य को भी अवसर देती है और स्व...

विनम्रता Modesty

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 विनम्रता एक आभूषण के समान है ,जिसे उच्च व्यक्तित्व के द्वारा ही धारण किया जा सकता है । अश्लील,अभद्र,अहंकारी व्यक्ति से इसकी अपेक्षा करना न सिर्फ गलत बल्कि कष्टदायक भी है।जीवन बहुत सी चुनोतियो से भरा पड़ा है ।यदि हमें इसे सफलतापूर्वक पार करना है ,तो विनम्रतापूर्वक हर चुनोती को स्वीकार करना पड़ेगा ।यदि हम जीवन मे जूझकर, निराश होकर ,हारकर बैठ जायेगे तो जीवन बोझिल हो जाएगा ।जीवन मे सभी व्यक्ति संघर्ष करते हैं, किंतु कुछ उसमे सफल तथा कुछ असफल हों जाते हैं।मुख्यता देखा जाए तो ईस्वर हमे जीने का कुछ न कुछ सहारा अवश्य देता है यदि हम संघर्ष करते हैं  तो ।किंतु हमे यदि कुछ अधिक प्राप्त करना हो ,तो विनम्रतापूर्वक अपना कार्य करते रहे और यदि अभिलासाये पूरी भी हो जाये तो इस विनम्रता रूपी आभूषण को सदैव धारण किये रहे। जिससे आपकी सफलता व लोकप्रियता बनी रहे ।हम अपने जीवन मे बहुत से महान व्यक्तियों के बारे में सुनते एवं समक्ष रूप से देखते भी हैं।,के किंतु यदि संयमपूर्वक ,धयनपूर्वक देखा जाए तो उनकी विनम्रता ही उन्हें महानता की ओर ले जाती है और वो समाज के सामने मिसाल प्रस्तुत करते हैं । Humility is ...

निष्ठावान Sincere

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 निष्ठावान व्यक्ति ही अपने कार्यक्षेत्र में नित नए नए कीर्तिमान स्थापित करता हैं। जो व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य को समय देता हैं, वही कार्य मे निपुण हो पाता हैं।और जब तक व्यक्ति अपने कार्य मे सम्पूर्ण रूप से निपुण न हो जाये उसका कार्य किसी अर्थ का नही रहता है । अतः निष्ठापूर्वक किया गया कार्य ही हमारे कार्यक्षेत्र में हमे संबल तथा संभावित लाभ दिलाता है । निष्ठा तो प्रत्येक स्थान पर होनी चाहिए फिर चाहे वह हमारा व्यवहार हो , सामाजिक क्रियाकलाप हो ,हमारा आचरण हो ,हमारे रिश्ते हो या कोई भी क्षेत्र हो । क्योंकि जिस कार्य को हम निष्ठापूर्वक करेंगे उसी को हम सम्पूर्ण सार्थक बना पाएंगे । जो व्यक्ति निष्ठापूर्वक कार्य नही करता वह आधी अधूरी निपुणता ही हासिल कर पाता है ।तथा सदैव असंतुस्ट रहता है ।वह प्रत्येक स्थान पर खामियां ही ढूंढता है । वही निष्ठापूर्वक किये गए कार्य मे यदि उसे किसी कारणवश सफलता नही भी मिलती तो भी वह आत्मसंतुष्ट रहता हैं । और सफलता से बड़ी आत्मसंतुष्टि होती हैं । अतः हमें जीवन मे निष्ठावान होना चाहिए । It is the loyal person who sets new records in his field....

कर्तव्य परायणता Duty devotion

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 कर्तव्य परायणता हमें आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करती है lकर्तव्य के प्रति निष्ठा, प्रेम ,समर्पण ,योगदान हमें स्वतंत्र ,आत्मनिर्भर और योग्य बनाता है lव्यक्ति की पहचान रूप, रंग आदि बाह्य रूप से आकर्षित करने वाली वस्तुओं से नहीं होती ,बल्कि उसके द्वारा किए गए महान कार्यों से होती हैl कार्य की सफलता, सार्थकता आदि हमारे कार्य के प्रति दृष्टिकोण पर भी निर्भर करती है lयदि हमारा दृष्टिकोण सही ,सकारात्मक है ,तो कार्य करना हमें रोमांचित ,आनंदित करता है lउच्च गुणों से सुसज्जित व्यक्ति बहुत ही कर्तव्य परायण होते हैंl उनकी यही कर्तव्य परायणता ही उन्हें ऊंचे मुकाम पर ले जाती हैl व्यक्ति को जीवन में यदि कुछ हासिल करना है, तो उसे कर्तव्य परायण होना बहुत ही आवश्यक है lआज हमारे सामने जितने भी महान व्यक्तियों के उदाहरण हैं ,वे सभी उनकी कार्य के प्रति लगन, लगाव ,समर्पण ,निष्ठा आदि के कारण हैं lअतः हमें जीवन में जितना हो सके कार्य के प्रति आसक्त होना चाहिए lक्योंकि वही हमें पहचान दिलाता हैl Duty devotion leads us to self-reliance. Loyalty, love, dedication, contribution to duty makes us independent, se...

निष्ठुरता Ruthlessness

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 प्रायः व्यक्ति निष्ठुर तब हो जाता है ,जब उसका मन सामाजिक क्रियाकलापों या व्यक्तियों या अपने आसपास के वातावरण या कार्यों से खिन्न हो जाता है lअक्सर लोग निष्ठुर व्यक्ति की निंदा करते हुए पाए जाते हैं ,किंतु यदि धैर्य पूर्वक सोचा जाए तो शायद यह निष्ठुरता किसी अवसाद ,असफलता, निराशा या किसी अन्य नकारात्मक मानसिक अवचेतना के कारण भी हो सकती है lअतः हमें निष्ठुर व्यक्ति के साथ कोई ग्लानि रखने की अपेक्षा यदि उसके साथ सहानुभूति रखी जाए तो शायद वह इस भावना पर विजय प्राप्त कर इससे धीरे-धीरे उबर सकता हैl निष्ठुर व्यक्ति के अंतर्मन में एक द्वंद्व चलता रहता है lवह यह समझ भी नहीं पाता कि क्या उसके लिए उचित है, तथा क्या अनुचित lक़भी-कभी यही निष्ठुरता उसके सबके साथ बैर का कारण भी बन जाता है lअतः हमें निष्ठुर व्यक्ति के साथ सहानुभूति ,सौहार्द ,आपसी मेलजोल आदि बनाना चाहिए जिससे वह इस अवस्था से बाहर आ सकेl क्योंकि ऐसे व्यक्ति अक्सर समाज के लिए बहुत ही हितकर सिद्ध होते हैंl Often, a person becomes ruthless when his mind is disturbed by social activities or individuals or the environment or actions aroun...

व्याकुलता Distraction

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 व्याकुलता अनेक प्रकार की होती है, किसी को ज्ञान की व्याकुलता ,किसी को प्रेम की व्याकुलता आदि- आदि प्रकार से किसी ना किसी को कोई ना कोई वस्तु पाने की व्याकुलता होती रहती है lजिस प्रकार मृग को कस्तूरी की व्याकुलता होती हैlइसी व्याकुलता में व्यक्ति नित्य प्रतिदिन प्रयासरत लगा रहता है, जिससे वह अपनी व्याकुलता को शांत कर सके lअसल में व्याकुलता मोह का ही एक रूप है ,जिसे हम मायाजाल भी कह सकते हैंl व्याकुलता में हमारा मन कभी कभार इतना उलझ जाता है, कि हमारी रातों की नींद भी गायब हो जाती है lयह एक तृष्णा है, जिसमें मनुष्य भटकता रहता हैl व्याकुलता में हमारा मन भी अशांत हो जाता है, किंतु इस व्याकुलता रूपी तृष्णा से निकलने का उपाय शिव शांति की किरणों से स्वयं को सुसज्जित करने में ही है lहम अपना मन जितना शांत रखेंगे, उतनी ही दूरी इस तृष्णा से बनती जायेगी l There are many types of distraction, one is the distraction of knowledge, one is the distraction of love, etc., in the form of distraction of some kind of musk, the person always has the distraction like musk.  It is trying every day, so...

वाक्पटुता Eloquence

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वाकपटु व्यक्ति बहुत व्यवहारी माना जाता है lप्रायः वाकपटु व्यक्तियों का एक बड़ा सामाजिक दायरा होता है lयह दायरा तब और बड़ा हो जाता है ,जब हम दूसरों के हित की बात करते हैंl वाकपटु व्यक्ति का अपनी बात रखने का अलग ही तरीका होता है lजिस व्यक्ति में यह तरीका होता है, तथा वह समाज या अपने आसपास के लोगों के हित की बात करता है ,तो समाज में उसे सम्मान तथा उसकी बात को वरीयता दी जाती हैl यही एक सबसे उपयुक्त तरीका होता है लोगों से जुड़ने का lअच्छा वक्ता बनने के लिए हमें अपने शब्दों पर नियंत्रण ,संतुलन ,संभावित लाभ जिसमें समाज का मानसिक, सामाजिक आदि लाभ शामिल हो होने चाहिए और इसमें से सबसे उपयुक्त तरीका तो कम शब्दों में अपनी बात को प्रभावी ढंग से करने में हैl यदि देखा जाए तो वाक्पटुता भी एक सफलता की कुंजी हैl प्रायः लोग वही सुनना चाहते हैं, जो उनके हित में हो अतः हमें स्थिति का सही निरीक्षण करके उनके हितों को ध्यान में रखते हुए बात करनी चाहिएl A person with eloquence is considered very practical. Often eloquent people have a large social circle. This scope becomes bigger when we talk about the intere...

एकाग्रता Concentration

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एकाग्र मनुष्य संयमित गुणों वाला होता है lऐसा व्यक्ति ही सदैव प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त करता हैl क्योंकि यदि हम किसी कार्य को एकाग्र चित्त होकर करते हैं ,तो हमारा पूरा ध्यान उसी में लग जाता है lऔर यदि कोई कार्य ध्यान पूर्वक किया जाता है ,तो धीरे-धीरे उसमें प्रांगणता आती है lतथा वह व्यक्ति उस कार्य में निपुण हो जाता है lजिससे उसके सफलता के मार्ग खुलकर धीरे-धीरे प्रशस्त हो जाते हैं lकिसी भी कार्य को यदि एकाग्र चित्त होकर ना किया जाए तो उसमें सफलता मिलना लगभग असंभव ही रहता है lक्योंकि यदि हम एकाग्र चित्त हो जाते हैं, तो हमारे मन मस्तिष्क की सारी ऊर्जा समेकित होकर उसी कार्य में लग जाती है lजो एक प्रकाश उत्पन्न करती है एकाग्रता तथा निपुणता का प्रकाशl यह प्रकाश सिर्फ हमारे तक सीमित नहीं रहता ,बल्कि हमारे आसपास के लोगों को भी प्रभावित करता है lअतः हमें प्रयास करके इस प्रकाश को खुद में संचारित कर आसपास तक विस्तार करके सबको प्रकाशमान तथा ऊर्जावान करने का प्रयास करना चाहिए lहमारी सफलता इसी में है कि ,हम कितने लोगों को प्रभावित करते हैं अपने एकाग्र मस्तिष्क तथा अपने उच्च गुणों स...

कुंठा Frustration

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 कुंठा एक मानसिक विकार है ,जो अंदर ही अंदर किसी को भी खोखला कर सकता हैl क्योंकि यह एक ऐसी भावना है, जिसमें व्यक्ति हरदम परेशान रहता हैl कुंठित व्यक्ति का जीवन बहुत ही नीरस होता है lवह अपने आसपास होने वाली गतिविधियों से अनभिज्ञ, कभी खुश नहीं हो पाता तथा वह छोटी या बड़ी खुशियों को भी महसूस नहीं कर पाता lअतः हमें कुंठा पर हर हाल में विजय प्राप्त करने का प्रयास करते रहना चाहिएl क्योंकि अगर एक बार यह भावना हमारे मन मस्तिष्क पर हावी हो जाती है, तो इससे उबरने में हमें बहुत समय लगता है lया कभी-कभी हम जीवन भर इसी अग्नि में तपते रहते हैंl इससे बाहर आने का सबसे अच्छा उपाय है ,कि हम अपना समय ज्यादा से ज्यादा उच्च विचारों वाले व्यक्ति या पुस्तकों या अन्य स्रोतों के साथ बिताएl क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे हमें इस से बाहर आने में सहायता मिलती हैl Frustration is a mental disorder that can make anyone hollow inside, because it is a feeling in which the person is always disturbed. The life of a frustrated person is very dull. He is ignorant of the activities around him,never be happy...

परिपक्वता Maturity

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 परिपक्वता हमें तब आती है, जब हम स्वयं से ज्यादा दूसरों की इच्छाओं को वरीयता देते हैं lहमारा मन सदैव अपनी इच्छाओं के ही वशीभूत होकर चंचल बनकर इधर-उधर अन्यत्र ही भटकता रहता है lकिंतु देखा जाए तो अपनी इच्छाओं पर संयम रखना भी परिपक्वता की ही निशानी हैl परिपक्व व्यक्ति बहुत ही सजग ,सजल, संयमित ,निश्चल ,नैतिक और उच्च आचरण वाला होता हैl उच्च गुणों को धारण करना भी परिपक्वता का ही अनुरूप हैl एक पूर्ण रूप से समझदार व्यक्ति ही परिपक्वता की कसौटी पर खरा उतरता हैl नियमित रूप से जो व्यक्ति अपने विचारों पर कार्य करता है ,उन्हें परिपक्वता की श्रेणी तक ले जाने का प्रयास करता है वही एक दिन अपने विचारों में परिपक्वता अनुभव कर पाता हैl और उसके विचार दुनिया के लिए प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैंl प्रायः लोग कहते हैं कि परिपक्वता उम्र के साथ आती है, किंतु ऐसा नहीं है परिपक्वता सदैव अच्छी सोच के साथ कार्य करते रहने से जीवन के कुछ अच्छे तथा कुछ कटु अनुभव आदि से आती हैl Maturity comes to us when we give preference to the desires of others more than ourselves. Our mind always wanders from here to there, becom...

निस्वार्थता Selflessness

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निस्वार्थ भाव से की गई सेवा अमूल्य होती है lअक्सर हम दूसरों से कुछ पाने की उम्मीद में कुछ करते हैं, किंतु सेवा भाव यदि निस्वार्थ है तो उसका परिणाम हमें उचित समय पर तथा बहुत उपयुक्त ही मिलता हैl ईश्वर हमें वही देता है, जो हमारे लिए अच्छा होता हैl निस्वार्थता हमें अच्छाई के रास्ते पर ले जाती है, वहीं जब हम स्वार्थ बस कोई कार्य करते हैं, तो वह हमारा उचित मार्ग से विचलन कर अनुचित राह पर ले जाती हैl निस्वार्थ भाव से कार्य करने पर हमारा मन सदैव संतुष्ट रहता हैl कभी कभार कुछ विशेष परिस्थितियों में यह असंतुष्ट भी होता हैl किंतु यदि हम आराम से बैठकर सोचे तो तथा अंत में यह हमें संतुष्टता ही देता हैl और एक संतुष्ट व्यक्ति से बढ़कर दुनिया में कोई खुशहाल हो ही नहीं सकता lमनुष्य जीवन भर अनेकों अभिलासाओ के साथ जीता है ,तथा इसके लिए परिश्रम भी करता है इसी बीच वह कब स्वार्थी हो जाता है उसे स्वयं पता नहीं चलता l किंतु यदि हम निस्वार्थ भाव से कोई कार्य करते हैं ,तो हम संतुष्ट एवं खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैंl Selfless service is invaluable. Often we do something in hopes of getting something from others, ...