संकल्प सिद्धि हेतु हमे सच्चे मन से प्रयास करना पड़ता है ।अन्यथा वह अपूर्ण रह जाता है।हम जिस प्रकार का संकल्प या धरना रखते हैं ,उसी प्रकार हमारे जीवन मे घटित होता है ।अतः संकल्प सदैव उच्च ही रखने चाहिए ।जब हम उच्च संकल्प लेते हैं, तो हम उसके लिए अत्यधिक प्रयास करते हैं ।जिससे कि हम उस कार्य को करने में सक्षम हो जाते हैं ।और हमारे संकल्प की सिद्धि हो जाती है ।किन्तु जब हम संकल्प ही तुच्छ रखते हैं, तो यह उसी प्रकार से फलीभूत भी होता है।जीवन मे जिस जिस ने कुछ बड़ा मुकाम हासिल किया उनके संकल्प बहुत ही उच्च कोटि के थे ।वे लोग अपने द्वारा लिए गए बड़े संकल्प पर ही न्योछावर हो गए और इतिहास रच गए। अतः हमें संकल्प सदा बड़े ही लेने चाहिए ।यदि हम उन्हें पूर्ण न भी कर पाए तब भी उसके करीब जाकर कुछ तो हासिल कर ही लेंगे। We have to make a sincere effort to fulfill our determination. Otherwise it remains incomplete. The kind of resolve or dharna that we hold, happens in our life. So, the resolution should always be high. When we have high resolution If we take it, we try hard for it s...
प्रत्येक चीज का आरंभ शून्य से ही होता है और अंत भी शून्य पर ।अतः पूरा जीवन हम सिर्फ शून्यता की खोज में निकाल देते हैं ।और अंत में जब उसे प्राप्त करते हैं तब बोध होता है। असली सत्यता क्या है जीवन की। जो व्यक्ति शून्यता का महत्व समझता है, वह बाहरी आडम्बरो से रहित परिपक्व होता है ।तथा वह दिखावे की दुनिया से अनाकर्षित होता है। तथा वही जीवन के असली मूल्यों को समझता है। हमारा जीवन बहुत ही मूल्यवान है ,किंतु यदि हम शून्यता का दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो इसकी महत्वता और बढ़ जाती है ।हमारी नज़र में भी तथा सभी की नज़र में भी ।यदि असल मे देखा जाए तो जीवन मे अपार संभवनाएं तथा अवसर है किंतु उन्हें भुनाने तथा प्राप्त करने के लिए पहले शून्यता प्राप्त करनी पड़ेगी ।क्योकि कुछ भी धारण करने के लिए पात्र का खाली होना बहुत आवश्यक है। शून्यता हमे तभी प्राप्त होगी जब हम खालीं होंगे, हल्के होंगे ।हमारे जीवन का अर्थ तभी है ,जब हम इस प्रकृति में कुछ योगदान दे। क्योकिं प्रकृति शून्यता का सर्वोत्तम उदाहरण है। यह पूर्ण रूप से शून्यता को धारण किये हुए हैं ।तथा नित नई नई संभावनाएं तलाशने का मनुष्य को भी अवसर देती है और स्व...
हमारे कर्म ही हमारे दिशा का निर्धारण करते हैं।हम किस पथ पर अग्रगामी होंगे ये हमारे कर्म ही निर्धारित करते हैं।जीवन मे अनेको उतार चढ़ाव आते है। कभी सुख के दिन होते हैं ,तो कभी दुख के ।उन्ही पलो में जो अपने कर्मो को नियोजित ,संयमित और भली भांति संचालित करता है ,वही अपने भविष्य को अच्छा बनाने में सफल होता हैं। व्यक्ति भले अपने कर्मो का लेख जोखा रखे या न रखें। किन्तु इस्वर सदैव उसके कर्मो का लेखा जोखा रखते हैं।और उसी अनुसार उसको फल भी देते हैं।प्रायः लोग भाग्य को, इस्वर को ,परिस्थितियों को कोसते हुए दिखाई देते हैं ।वो भूल जाते हैं ,कि जो कुछ भी हमारे साथ घटित होता हैं ,वो हमारे कर्म ही होते हैं ।अतः प्रत्येक परिस्थिति में हमे अपने कर्मो को सही दिशा देनी चाहिए ।जिससे जीवन मे आने वालों उतार चढ़ाव से हम विचलित न हो । Our actions determine our direction. Our action determines on which path we will lead. There are many ups and downs in life. Sometimes there are days of happiness, sometimes there are sorrows. In those days, one who employs his actions, is restrained and performs well, he succ...
निर्बलता एक मानसिक बीमारी की तरह ही है ।निर्बल व्यक्ति बहुत कमजोर होते हैं ।ये थोड़े से भी परिवर्तन शील नही होते ,बल्कि परिवर्तनों से बहुत घबराते हैं ।निर्बलता को अपने मन से जीता जा सकता है। क्योंकि हमारा मन ही हमे विचलित भी करता है ।और संबल भी देता है ।कहावत भी इसी संदर्भ में है ,कि मन के जीते जीत है ,और मन के हारे हार।अतः हमें मन से कभी निर्बल नही होना चाहिए ।परिवर्तन तो सृष्टि का नियम है, अतः परिवर्तनों को खुले मन से स्वीकारना चाहिए।कोई भी कार्य करते समय यदि उसे करने में निर्बलता का अभास हो, तो उस कार्य को करते समय अच्छे -अच्छे विचारों का अपने मन, मस्तिष्क में संकलन करे ।कुछ अपनी पसंद के कार्य ,जैसे संगीत आदि का मनन करे ।जिससे उस कार्य को करने में रुचि आये ।और यह तो सर्व विदित है की ,अपनी रुचि के कार्य मे हमे निर्बलता कभी नही आती।हमे प्रयास करना चाहिए कि हम अपने मन पर नियंत्रण प्राप्त कर ले, क्योकि एक नियंत्रित मन अत्यंत ही मजबूत होता है।इतिहास भी गवाह है कि जिसने अपने मन पर विजय प्राप्त कर ली उसने बहुत सी निर्बलताओ को पछाड़ दिया।
प्रत्येक स्थान पर निरंतरता अवश्य होनी चाहिए ।क्योंकि निरंतर अभ्यास से हम उसे प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी हम कल्पना करते है।कल्पना करना या सपने देखना बुरी बात नही है ,किंतु सिर्फ कल्पनाओ में रहना ठीक नही। क्योकि यदि अपने सपनो को पूरा करने के लिए आप निरंतर प्रयास नही करते हो ,तो वह सिर्फ कल्पना मात्र ही रह जाता है।उदाहरण स्वरूप नदी जो कि निरंतर प्रयास करके बड़ी से बड़ी चट्टानों को भेद कर अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेती है।यह सिर्फ तभी संभव हो पाता हैं ,क्योंकि वह निरंतर प्रयास करती रहती है।उसी प्रकार जो व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में निरंतर प्रयास करता रहता है, वह भी अपना लक्ष्य कभी न कभी प्राप्त कर ही लेता है।निरतंर प्रयास करते रहने से हमारी कमिया धीरे धीरे संतुलित होने लगती है ,तथा एक दिन हमारे कार्यो में संतुलन आ जाता है ।और यही संतुलन हमे प्राँगड़ता की ओर ले जाता है।जिससे दूसरे भी प्रभावित होते है ,तथा निरंतर कार्य करते हुए अपने अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। There must be continuity in every place. Because by continuous practice we can achieve what we imagine. It is not a bad thing to imag...
सक्षमता या सफलता हमें निरंतर प्रयास के बाद मिलती है ।इसे बनाए रखने के लिए उदार स्वभाव ,कर्मशील आदि होना अति आवश्यक है। सक्षम होने के पश्चात यदि हम अपने स्वभाव में स्वार्थी पन लेकर आते हैं ,तो हमारी सक्षमता या सफलता सीमित हो जाती है। किंतु यदि हम दूसरों को उनकी मंजिल प्राप्त करने में मदद करते हैं ,तो हम दूसरों की सफलता के कारण भी बनते हैं ।सफलता या सक्षमता का सही मायने तभी है ,जब हम स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी अपने साथ लेकर चले। स्वार्थी सक्षमता क्षणिक होती है ।जबकि निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने पर हमारी सक्षमता या सफलता बहुत ही लंबे समय तक जीवंत रहती है ।जब हम सफल या सक्षम हो जाते हैं तो हम बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो जाते हैं ।लोग हमसे हमारे अनुभव आदि के बारे में बात करते हैं। यदि हम अपने अनुभव का प्रयोग दूसरों को सक्षम बनाने में करते हैं तभी हम एक सक्षम व्यक्ति कहलाते हैं अतः अपनी सक्षमता का सदैव जनहित में निरूपण करें। We get competence or success after continuous effort. To maintain it, it is very important to have a generous nature, work, etc....
जन सभाये प्रायः चुनावी काल मे ज्यादा होती है ।प्रत्येक जन सभा का एक उद्देश्य होता है ।कभी कभी जन सभाये उद्देश्य हीन होकर मात्र मनोरंजन युक्त होती है ।जन सभाओ में अक्सर लोगो का बहुत बड़ा हुजूम उमड़ता है।लोग जन सभाओ को संबोधित करने वाले व्यक्ति को अपना प्रतिविम्ब मानते हैं ।जन सभा को संबोधित करने वाले कि बातो में वो अपना हित खोजते हैं ।कभी कभी जन सभाये लोगो के हित में तथा कभी कभी ये निरुद्देश्य साबित होती है ।जन सभा को संबोधित करने वाले व्यक्ति पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है ।उसका यह फ़र्ज़ होता है, कि वह अपनी बातों से लोगो का मन आकर्षित करे ।ज्ञान वर्धक तथा अच्छी बातें करे। तथा अपना सम्पूर्ण वक्तव्य जनहित में समर्पित करे ।जन सभाये केवल चुनावी मुद्दा नही है ।बल्कि ये और भी स्थानों पर होती है। जैसे भक्ति को प्रेरित करने वाली, संगीत को जन जन तक पहुचाने वाली आदि ।यदि जन सभाओ का उद्देश्य अच्छा है तो ये अधिक से अधिक होंनी चाहिए क्योंकि इससे लोगो को एक साथ एकत्रित होने का अवसर मिलता है तथा हमारी एकता भी झलकती है। Public meetings are usually more during the election period. Every pub...
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