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नृत्य dance

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नृत्य एक कला है ,जिससे सोये हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है ।और जागे हुए व्यक्ति को सुलाया जा सकता है ।इसके संदर्भ में यदि और चर्चा करे तो हम पाएंगे कि, जब ऋषि -मुनि तपस्या करते थे ,तो इंद्र देव अपनी सत्ता छिन जाने के डर से अप्सराओं को भेजते थे उन्हें मोहित कर उनकी तपस्या भंग करने के लिए ।और वही दूसरी ओर नृत्य से शरीर को चुस्ती ,फुर्ती ,ऊर्जा आदि मिलती है। तथा बड़े बड़े समारोहों में नृत्य प्रदर्शन से नई ऊर्जा का संचार किया जाता है। अतः दोनों ही वाक्य यही पर स्पष्ट हो जाते हैं।अतः हर सिक्के के दो पहलू होते हैं।  Dance is an art, by which a sleeping person can be awakened. And the awake person can be put to sleep. If we discuss more in this context, we will find that, when the sages and sages used to do penance, Indra Dev his existence  Fearing to be snatched away, Apsaras were sent to fascinate them and disturb their penance. And on the other hand dance gives agility, agility, energy etc. to the body.  And in big festivals, new energy is infused with dance perfor...

स्त्री देवी के रूप मे

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देवी के 9 रूपों का वर्णन दैवीय कथाओं में बहुत प्रचलित हैं ।असल मे ये स्त्री रूपा देवी की गाथायें है, कि किस प्रकार से देवी ने अपने स्वाभिमान ,अपने चरित्र, अपने भगतों आदि की रक्षा के लिए नौ रूप धारण किये।स्त्री ही दुर्गा है। स्त्री ही लक्ष्मी। स्त्री ही काली है ,स्त्री ही कृपालिनी,। स्त्री ही 108 देवी के स्वाहा ,स्वधा ,क्षमा ,शिवा ,धात्री, आर्या आदि रूप भी है।जैसी समय की आवश्यकता होती हैं ,स्त्री रूपी देवी वही रूप धारण कर लेती हैं।जैसा कि दुर्गा सप्तशती में वर्णन है, कि किस प्रकार से देवी ने इस संसार की रक्षा के लिए चंड, मुंड शुंभ ,निशुंभ ,रक्तबीज ,महिषासुर आदि माया रूपी राक्षसों का वध करके इस पृथ्वी की ,भगतो की ,अपने स्वाभिमान ,गौरव और चरित्र की रक्षा के लिये खड़ग ,पाश,तलवार,शूल,आदि की सहायता से माया रूपी राक्षसों का विनाश किआ तथा इस पृथ्वी को फिर से पावन बनाया। अतः स्त्री सम्मानीय हैं। उनका इस धरा में कोई जोड़ नही ।क्योकि जिस धरा पर हम वास करते हैं वह भी स्त्री रूप पृथ्वी है ।जिस प्रकार से माता अपने बालको के पालन पोषण के लिए अपना दूध पिलाकर अपनी छाती से लिपटाकर अपने बालको क...

विश्व पर्यावरण दिवस

देखो सुनहरा पर्व आया, पर्यावरण संरक्षित करने का दिन लाया। पेड़ एक लगाएंगे हम, उसको खाद पानी खिलाएंगे हम। जब वह बड़ा हो जाएगा, चिड़िया अपना घर बनाएगी तब। बहुत कुछ वह देगा हमें, जैसे लकड़ी फल और ऑक्सीजन। झूम उठेगा मन हमारा, जब बहेगी हवा अति सुंदर। छांव में उसकी खेलेगा बालक, और पूरी करेगा अपनी हसरत। बसंत में फूटेंगे जब नए कोपल, पल्लवित होंगे हम भी उसके संग। नई छटा बिखेर देंगे जब वृक्ष, हर्षित होगा पृथ्वी का कण-कण।

A patriotic song written by me

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संतोष Satisfaction

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वैसे तो हम सबने यही सुना है कि संतोसम परम सुखं। किन्तु जब बात यथार्तता की आती है, तो ज्यादातर ये धूमिल सा दिखाई देता है । क्योंकि हम इसे जीवन मे धारण नही कर पाते और अगर करते भी है ,तो बमुश्किल से ।क्योकि हमारी इच्छायें असीमित होती है। कभी कभी तो हमे हालातो से समझौता करना पड़ता है इसे सार्थकता देने के लिए । किन्तु जो व्यक्ति इसकी यथार्तता को धारण करता वही सुखी रहता है। क्योंकि जीवन छोटा नही होता और हमारी इच्छाये भी ।यदि छोटे छोटे स्थानों पर समझौता किया जाए या संतोष किया जाए तो यही धीरे धीरे हमे बाद में बड़ा प्रतिफल देगा। और जिसके मन मस्तिष्क में संतोष भर गया तो वही सबसे सुखी मनुष्य होगा ।और वो कहते भी है कि जब आये संतोष धन तो सब धन धूर समान।बहुत से मनुष्य थोड़े से में प्रसन्न होकर अपना जीवन यापन कर लेते है लेकिन कुछ लोग सब कुछ होते हुए भी प्रसन्न नही हो पाते ।ये सब संतोष रूपी भावना का परिचय देते हैं। By the way, we all have heard that Santosam is the ultimate happiness.  But when it comes to accuracy, most of it looks bleak.  Because we are not able to wear it in life ...

जलवायु Climate

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जिस प्रकार अलग अलग स्थानों पर अलग अलग जलवायु पायी जाती हैं ।उसी प्रकार प्रत्येक स्थान पर अलग अलग स्वभाव के लोग भी पाए जाते है। जिस प्रकार जलवायु परिवर्तशील हैं ।उसी प्रकार हम मनुष्यों का स्वभाव भी होता है ,जोकि एक निश्चित समय पर परिवर्तित हो जाता है।यदि ध्यानपूर्वक सोचा जाए ,तो यह सब समय का फेर होता है जोकि प्रत्येक परिवर्तन का कारण है।जलवायु परिवर्तन से हमारे देश मे बहुत कारक प्रभावित होते हैं। जिसमे कृषि का  क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं ।बहुत सी फसले जलवायु परिवर्तन पर ही निर्भर करती है। हमारे देश मे जलवायु के अनुसार त्यौहारो का भी चलन है। अतः जलवायु परिवर्तन के हमारे देश मे अनेको लाभ है ।उसी प्रकार अवस्था के अनुसार मानव स्वभाव में परिवर्तन स्वाभाविक है ।और इस परिवर्तन के भी जलवायु परिवर्तन की तरह अनेको लाभ है ।इस भूमंडल पर प्रत्येक वस्तु आदि के अपने -अपने हानि लाभ है। किंतु यदि लाभ पर हम अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, तो उसे स्वीकारने में अधिक परेशानी नहीं होती।अतः जलवायु परिवर्तन की तुलना मानव स्वभाव से सफलता पूर्वक की जा सकती हैं। Just as different climates are found...

निर्बलता Weakness

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निर्बलता एक मानसिक बीमारी की तरह ही है ।निर्बल व्यक्ति बहुत कमजोर होते हैं ।ये थोड़े से भी परिवर्तन शील नही होते ,बल्कि परिवर्तनों से बहुत घबराते हैं ।निर्बलता को अपने मन से जीता जा सकता है। क्योंकि हमारा मन ही हमे विचलित भी करता है ।और संबल भी देता है ।कहावत भी इसी संदर्भ में है ,कि मन के जीते जीत है ,और मन के हारे हार।अतः हमें मन से कभी निर्बल नही होना चाहिए ।परिवर्तन तो सृष्टि का नियम है, अतः परिवर्तनों को खुले मन से स्वीकारना चाहिए।कोई भी कार्य करते समय यदि उसे करने में निर्बलता का अभास हो, तो उस कार्य को करते समय अच्छे -अच्छे विचारों का अपने मन, मस्तिष्क में संकलन करे ।कुछ अपनी पसंद के कार्य ,जैसे संगीत आदि का मनन करे ।जिससे उस कार्य को करने में रुचि आये ।और यह तो सर्व विदित है की ,अपनी रुचि के कार्य मे हमे निर्बलता कभी नही आती।हमे प्रयास करना चाहिए कि हम अपने मन पर नियंत्रण प्राप्त कर ले, क्योकि एक नियंत्रित मन अत्यंत ही मजबूत होता है।इतिहास भी गवाह है कि जिसने अपने मन पर विजय प्राप्त कर ली उसने बहुत सी निर्बलताओ को पछाड़ दिया।