निर्बलता Weakness

निर्बलता एक मानसिक बीमारी की तरह ही है ।निर्बल व्यक्ति बहुत कमजोर होते हैं ।ये थोड़े से भी परिवर्तन शील नही होते ,बल्कि परिवर्तनों से बहुत घबराते हैं ।निर्बलता को अपने मन से जीता जा सकता है। क्योंकि हमारा मन ही हमे विचलित भी करता है ।और संबल भी देता है ।कहावत भी इसी संदर्भ में है ,कि मन के जीते जीत है ,और मन के हारे हार।अतः हमें मन से कभी निर्बल नही होना चाहिए ।परिवर्तन तो सृष्टि का नियम है, अतः परिवर्तनों को खुले मन से स्वीकारना चाहिए।कोई भी कार्य करते समय यदि उसे करने में निर्बलता का अभास हो, तो उस कार्य को करते समय अच्छे -अच्छे विचारों का अपने मन, मस्तिष्क में संकलन करे ।कुछ अपनी पसंद के कार्य ,जैसे संगीत आदि का मनन करे ।जिससे उस कार्य को करने में रुचि आये ।और यह तो सर्व विदित है की ,अपनी रुचि के कार्य मे हमे निर्बलता कभी नही आती।हमे प्रयास करना चाहिए कि हम अपने मन पर नियंत्रण प्राप्त कर ले, क्योकि एक नियंत्रित मन अत्यंत ही मजबूत होता है।इतिहास भी गवाह है कि जिसने अपने मन पर विजय प्राप्त कर ली उसने बहुत सी निर्बलताओ को पछाड़ दिया।