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संतोष Satisfaction

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वैसे तो हम सबने यही सुना है कि संतोसम परम सुखं। किन्तु जब बात यथार्तता की आती है, तो ज्यादातर ये धूमिल सा दिखाई देता है । क्योंकि हम इसे जीवन मे धारण नही कर पाते और अगर करते भी है ,तो बमुश्किल से ।क्योकि हमारी इच्छायें असीमित होती है। कभी कभी तो हमे हालातो से समझौता करना पड़ता है इसे सार्थकता देने के लिए । किन्तु जो व्यक्ति इसकी यथार्तता को धारण करता वही सुखी रहता है। क्योंकि जीवन छोटा नही होता और हमारी इच्छाये भी ।यदि छोटे छोटे स्थानों पर समझौता किया जाए या संतोष किया जाए तो यही धीरे धीरे हमे बाद में बड़ा प्रतिफल देगा। और जिसके मन मस्तिष्क में संतोष भर गया तो वही सबसे सुखी मनुष्य होगा ।और वो कहते भी है कि जब आये संतोष धन तो सब धन धूर समान।बहुत से मनुष्य थोड़े से में प्रसन्न होकर अपना जीवन यापन कर लेते है लेकिन कुछ लोग सब कुछ होते हुए भी प्रसन्न नही हो पाते ।ये सब संतोष रूपी भावना का परिचय देते हैं। By the way, we all have heard that Santosam is the ultimate happiness.  But when it comes to accuracy, most of it looks bleak.  Because we are not able to wear it in life ...